छपरा मिड डे मील हादसा: दोषी कौन?
अच्छा… तो अब यूँ ही ज़िन्दगी की कीमत लगेगी
भूखे मरते थे पहले अब पेट भरने पे मौत मिलेगी
मृत देह पर चढ़कर राजनीति करने वाले वाचाल वीर
क्या अब रक्त पीकर तुम्हारी क्षुधा को शांति मिलेगी ?
मध्याहन भोजन की योजना बनी शिक्षा के प्रचार को
या बिचौलिए, राजनीतिक लम्पट और बाबुओं के उद्धार को ?
होनी या अनहोनी तो हो गयी, पर, दोष किसका है ?
तुम तो दोषी हो ही नहीं सकते, दूध के धुले जो हो…
व्यवस्था दोषी नहीं, इसे तुमने जो बनायीं है…
हम दोषी हैं ? नहीं नहीं तुम वोट की ख़ातिर ऐसा कह नहीं सकते
किन्तु इस शुभ अवसर पर तुम राजनीति किये बिना रह नहीं सकते
फिर दोषी कौन ? गरीबी ? अमीरी ? लालच ? मजबूरी ? देश ?
राज्य ? समाज ? नीति निर्माता ? या फिर कोई नहीं…
ह्म्म्म्म….
कोई दोषी नहीं… सच में तुम्हे पता नहीं ? … तुम्हे पता है…
तुम्हे पता है दोष किसका है… मुझे भी…
दोषी है पेट… पापी पेट… भूखा पेट…. मेरा पेट… तुम्हारा पेट…
पेट ही दोषी, तो, तुम्हे मौत क्यों नहीं आती ?
नहीं पता ना… मुझे पता है… क्योंकि…
हमारा पेट… अन्न का भूखा… तुम्हारा पेट… धन का भूखा…
क्या लिखा है….करारा तमाचा है ये देश के नेताओ पे….!!!!! ऐसे लेख/रचना जारी रहने चाहिए …!!!
भागवान आपके कलम में और ताकत दे ताकि हम गरीबो का भला हो
सबसे पहले मै ये कहना चाहूँगा की इस योजना को तत्काल केंद्र सरकार बंद करे. और इस मिड डे मिल योजना के आर में न जाने कितने दलाल पैदा हो गए है. और मासूम बच्चो के ज़िन्दगी के साथ खिलवार कर रहे है. हमें ये समझ में नहीं आता अभी तक केंद्र सरकार मुख दर्शकः बन कर केऊ बैठे है. पूरी दुनिया मै हमारे देश का शर्म से सर झुक गया है. पर अभी व् केंद्र सरकार इन्तेजार कर रही है के और कितने बच्चे मरेंगे. ……… बहुत हो गया… बंद करो ये जानलेवा योजना.
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ये हमारे देश के लिए और हम सबके लिए बहुत ही दुखद घटना थी.इस तरह के प्रोग्राम को तुरंत बंद कर देना चाहिए .हमारे देश में ही कुछ ऐसे लोग बैठे है जो चाँद रुपये के लिए किसी की भी जन ले सकते है या उनकी जन जोखिम में दल सकते है . उन्हें इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है की कोण मरा, मुझे नहीं लगता है की ये बेवस्था कभी सुधेरेगी , अब तो हद हो गया है की कुछ राजनितिक दल इसको एक दुसरे को बदनाम करने के लिए ऐसी घिनोनी हरकत करने लगे है की नलकूप में किरोसिन और जहर दाल रहे है .भला इन बछो ने इनका क्या बिगाड़ा है जो इन मासूम बछो के साथ ऐसी हरकत की जा रही है
हद हो गई सब्र की अब तो ये लगता ये अपाहिज सरकार देश का नाम पूरा मिटटी में मिला के छोरेगी . इतने आलोचनाये झेलने के बाद तो कोई भी सरकार हो उसे कोई कठोर कदम उठाना चाहिए . अभी भी समय है अगर कठोर कदम न उठाया गया तो न जाने इस जानलेवा योजना के चक्कर में कितने मासूम काल के गाल में समां जायेगे . ये जितने योजनाये चल रही है ये सिर्फ उन नेताओ और दलालों के लिए है जो निर्दोष और मासूमो के लाश पर बैठ कर मॉस और दारू का सेवन करते है. और देश की राजनीति तै करते है. मै अपने देश की न्यायेपालिका से आग्रह करता हूँ की अब तो वही कोई ठोस कदम उठाये. और सरकार को फटकार लगाये के अब मनमानी नहीं चलेगी. बस पैसॊ की राजनीति हो गई है……..गर्व से कहो हम ……………….???????(जवाब आप खुद जानते है )
this is rediculious and very touch feeling to our city .where our city citizen can not get better food .our children can not get facility of education health culture good atmosphere and society . donot give vote to those who have only voice about this things .give they votes to them they can stable this un contrroled condision .the place of rajendra ,ashoka is very dignified .please donot spoil of place dignity .this is time of revolution . young youth come forward and give the vote of right and perfect people .please take care about your present and future . and donot listen this crocodile sound and tears . enough is enough . best of luck my dear ones .
क्या खूब लिखा है आपने , ये जादूगरी चलती रहे. रख दीजिये खोल के सच , जो सही है वो दिखती रहे.
Ye sb choro ye btai dosi ko saja mili ya nhi
बहुत बढ़िया भाई ऐसे ही लिखते रहिये इ नेतातओ के बारे में बहुत बढ़िया
प्रधानमंत्री से मै ये कहना चाहूँगा की मिड दे मिल योजना को तत्काल केंद्र सरकार बंद करे. और इस मिड डे मिल योजना के तहत भोजन करने से कितने स्टूडेंट की जान चली जाती है और इसके आर में न जाने कितने दलाल पैदा हो गए है. और मासूम बच्चो के ज़िन्दगी के साथ खिलवार कर रहे है. हमें ये समझ में नहीं आता अभी तक केंद्र सरकार मुख दर्शकः बन कर केऊ बैठे है. पूरी दुनिया मै हमारे देश का शर्म से सर झुक गया है. पर अभी व् केंद्र सरकार और राज सरकार इन्तेजार कर रही है के और कितने बच्चे मरेंगे. ……… बहुत हो गया… बंद करो ये जानलेवा योजना.